Friday, November 29, 2019

!!Democracy and Indian election process!!


!!Democracy and the Indian election process!!
Democracy:
1-    democracy is a form of government in which the people rule, directly or through elected representatives.
2-    It is the rule of the public, for the public by the public.
Voting:
Voting is considered a characteristic symptom of most types of democracy. Voting is the method of decision-making or revealing the choice of people through which a person or group presents its side. Therefore, this is an extremely important process on which democracy remains alive.

Faulty voting process:

The Indian election process is a very defective one. It violates the basic sentiments of democracy. It is only appropriate when there are only two candidates or just two types of political parties. But when more than two candidates or parties are in the election field, this process is false or unscrupulous. This process selects the candidates who are not liked by most people. And in this way, most people have to be ruled by a person or party acting on their unsupported ideas or principles. As if three candidates are in the ground, the public may have to be ruled by 40% of the voters, while the sum of divisive votes for both the deceased candidates is 60% in any way (not more than 40th % for one candidate). Candidates selected in this manner will always determine 40% public favorable policy which is against the desire of most people.

 Potential solutions:

1-    The number of candidates who are in the electoral fray, so many numbers should be attributed to one vote.  If the voter marks only a mark (vote), then all the numbers should go in favor of that candidate. There are two types of arrangements possible for marking more than one mark of voter.

A-   All points are distributed equally among all candidates. Or
B-    Considering the order of marking the voter's button or marking the vote as the voter's choice, assuming the first, second, third ... choice, the points will be divided according to the same preference. Such as 50% on the first choice, 30% on the second, and 20% on his 3rd choice, etc. This vote digit division can also be decided by the number of candidates as (1) 60-40 (2) 50-30-20 (3) 40-30-20-10 etc. Or in this method, a condition can also be added as per the requirement that the only first three or four preferences will be awarded.

2-    Political alliances of parties should be completely restricted after elections. It is also contrary to the original sentiments of democracy. Political parties get compromise with their ideology and principles to profit themselves. The majority of the people opposed to the ruling party or candidates have to be ruled by them.  Because the opinion of the public is never taken for coalition and the elected representatives combine with the parties of conflicting ideologies to grab power.

Though this method can be problematic for implementation in rural and backward areas where even today elderly voters face trouble understanding the voting process. Yet it can be implemented in urban and developed areas. In this way, we can avoid the situations like Karnataka and Maharashtra and the probability of interim elections in the country. Interim elections cause heavy losses of wealth for the country and candidates. It also causes frustration for the voters.
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------------------------------------------------------------------Raghvendra Khare

Tuesday, November 26, 2019

!! लोकतन्त्र एवं भारतीय चुनाव प्रक्रिया !!

!! लोकतन्त्र एवं भारतीय चुनाव प्रक्रिया !!

लोकतन्त्र :
1-      वह शासन प्रणाली जिसमे प्रमुख सत्ता लोक या जनता अथवा उसके चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथ में होती है और जिसकी नीति आदि निर्धारित करने का सब लोगों को समान रूप से अधिकार होता है.
2-      जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है.

मतदान :
मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है. मतदान निर्णय लेने या अपना विचार प्रकट करने की विधि है. जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति या समूह अपना पक्ष प्रस्तुत करता है. अतः यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसकी बुनियाद पर लोकतन्त्र जिन्दा रहता है.

दोष पूर्ण मतदान प्रक्रिया :
भारतीय चुनाव प्रक्रिया अत्याधिक दोष पूर्ण है. वह लोकतंत्र की मूल भावनाओं का उल्लंघन करती है. यह तब तक तो उपयुक्त है जबकि मात्र दो उम्मीद्वार अथवा मात्र दो प्रकार के सैद्धान्तिक दलों के लिए मतदान हो. किन्तु दो से अधिक उम्मीदवारों, दलों के चुनाव मैदान में होने से यह प्रक्रिया झूठी या बेईमान सावित होती है. इस प्रक्रिया से उन उम्मीदवारों का चयन होता है जिनको की अधिकतर लोग पसंद नहीं करते और इस प्रकार से अधिकांश जनता को उनके द्वारा असमर्थित विचार या सिद्धांत पर अमल करने वाले व्यक्ति या दल से शासित होना पड़ता है. जैसे कि तीन उम्मीद्वार मैदान में होने से जनता को 40 % मत पाने वाले से शासित होना पड़ सकता है जवकि दोनों हारे हुए प्रत्यासियों का आपसी मत विभाजन 60 % हो साथ ही किसी एक के पक्ष में 40% से अधिक न हो. इस प्रकार से चुना गया उम्मीद्वार हमेशा ही 40 % जनता के अनुकूल नीति या कार्य निर्धारण करेगा जो की बहुतायत जनता की नापसंद होगी.

सम्भावित समाधान :

1-      जितने उम्मीद्वार चुनाव मैदान में हो उतने अंक एक मत पर निर्धारित हों. यदि मतदाता, मात्र एक निशान चिन्हित करता है तो सारे अंक उस प्रत्याशी के पक्ष में जाना चाहिये.

मतदाता के एक से अधिक निशान चिन्हित करने पर दो प्रकार की व्यवस्था सम्भव है.

अ-   सारे अंक सभी प्रत्याशियों में समान रूप से बाँट दिये जाये. अथवा

ब- मतदाता के बटन दवाने या निशान चिन्हित करने के क्रम को मतदाता की क्रमानुसार पहली, दूसरी, तीसरी... पसंद मानते हुए, उसी वरीयता अनुसार मत अंक विभाजित कर दिये जाये. जैसे कि पहले मत पर 50% अंक दूसरे  मत पर 30% और तीसरे पर 20% आदि. इस मत अंक विभाजन को प्रत्याशियों की संख्या अनुसार भी तय किया जा सकता है जैसे (1) 60-40 (2) 50-30-20 (3) 40-30-20-10 इत्यादि.

इस पद्धति में एक शर्त भी आवश्यकता अनुसार जोड़ी जा सकती है कि प्रथम तीन या चार वरीयताओं को ही मत अंक प्रदान किये जायें.

2-      चुनाव बाद के गठबन्धनों पर पूर्णतः रोक होना चाहिये. यह भी लोकतन्त्र की मूल भावनाओं के विपरीत है. राजनैतिक दल अपना उल्लू सीधा करने के लिये अपनी विचारधारा एवं सिद्धान्तों से समझोता कर लेते हैं. जिस विचारधारा या उम्मीदवारों के विरोध में अधिकतर जनता होती है उसे उन से ही शासित होना पड़ता है. क्योकि गठबंधन के लिए कभी भी जनता की राय नहीं ली जाती और चुने हुए प्रत्यासी सत्ता हथियाने के लिये परस्पर विरोधी विचारधारा के दलों से भी गठबंधन कर लेते है.
यद्यपि इस पद्धति को अति ग्रामीण एवं पिछड़े इलाकों में लागू करने में समस्या हो सकती है जहाँ आज भी बुजुर्ग मतदातओं को मतदान प्रक्रिया समझने में दिक्कतें होती है फिर भी इसे शहरी एवं विकसित इलाकों में तो लागू किया ही जा सकता है.

-------------------------------------------------------------------------..................राघवेन्द्र