Friday, November 29, 2019

!!Democracy and Indian election process!!


Democracy and the Indian Election Process

Democracy

1- A democracy is a form of government in which the people rule, directly or through elected representatives.

2- It is the rule of the public, for the public by the public.

Voting

Voting is considered a characteristic symptom of most types of democracy. Voting is a method of decision-making or revealing the choice of people through which a person or group presents their side. Therefore, this is a fundamental process on which democracy remains alive.

Tuesday, November 26, 2019

!! लोकतन्त्र एवं भारतीय चुनाव प्रक्रिया !!

!! लोकतन्त्र एवं भारतीय चुनाव प्रक्रिया !!

लोकतन्त्र :
1-      वह शासन प्रणाली जिसमे प्रमुख सत्ता लोक या जनता अथवा उसके चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथ में होती है और जिसकी नीति आदि निर्धारित करने का सब लोगों को समान रूप से अधिकार होता है.
2-      जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है.

मतदान :
मतदान को लोकतंत्र के अधिकांश प्रकारों का चरित्रगत लक्षण माना जाता है. मतदान निर्णय लेने या अपना विचार प्रकट करने की विधि है. जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति या समूह अपना पक्ष प्रस्तुत करता है. अतः यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसकी बुनियाद पर लोकतन्त्र जिन्दा रहता है.

दोष पूर्ण मतदान प्रक्रिया :
भारतीय चुनाव प्रक्रिया अत्याधिक दोष पूर्ण है. वह लोकतंत्र की मूल भावनाओं का उल्लंघन करती है. यह तब तक तो उपयुक्त है जबकि मात्र दो उम्मीद्वार अथवा मात्र दो प्रकार के सैद्धान्तिक दलों के लिए मतदान हो. किन्तु दो से अधिक उम्मीदवारों, दलों के चुनाव मैदान में होने से यह प्रक्रिया झूठी या बेईमान सावित होती है. इस प्रक्रिया से उन उम्मीदवारों का चयन होता है जिनको की अधिकतर लोग पसंद नहीं करते और इस प्रकार से अधिकांश जनता को उनके द्वारा असमर्थित विचार या सिद्धांत पर अमल करने वाले व्यक्ति या दल से शासित होना पड़ता है. जैसे कि तीन उम्मीद्वार मैदान में होने से जनता को 40 % मत पाने वाले से शासित होना पड़ सकता है जवकि दोनों हारे हुए प्रत्यासियों का आपसी मत विभाजन 60 % हो साथ ही किसी एक के पक्ष में 40% से अधिक न हो. इस प्रकार से चुना गया उम्मीद्वार हमेशा ही 40 % जनता के अनुकूल नीति या कार्य निर्धारण करेगा जो की बहुतायत जनता की नापसंद होगी.

सम्भावित समाधान :

1-      जितने उम्मीद्वार चुनाव मैदान में हो उतने अंक एक मत पर निर्धारित हों. यदि मतदाता, मात्र एक निशान चिन्हित करता है तो सारे अंक उस प्रत्याशी के पक्ष में जाना चाहिये.

मतदाता के एक से अधिक निशान चिन्हित करने पर दो प्रकार की व्यवस्था सम्भव है.

अ-   सारे अंक सभी प्रत्याशियों में समान रूप से बाँट दिये जाये. अथवा

ब- मतदाता के बटन दवाने या निशान चिन्हित करने के क्रम को मतदाता की क्रमानुसार पहली, दूसरी, तीसरी... पसंद मानते हुए, उसी वरीयता अनुसार मत अंक विभाजित कर दिये जाये. जैसे कि पहले मत पर 50% अंक दूसरे  मत पर 30% और तीसरे पर 20% आदि. इस मत अंक विभाजन को प्रत्याशियों की संख्या अनुसार भी तय किया जा सकता है जैसे (1) 60-40 (2) 50-30-20 (3) 40-30-20-10 इत्यादि.

इस पद्धति में एक शर्त भी आवश्यकता अनुसार जोड़ी जा सकती है कि प्रथम तीन या चार वरीयताओं को ही मत अंक प्रदान किये जायें.

2-      चुनाव बाद के गठबन्धनों पर पूर्णतः रोक होना चाहिये. यह भी लोकतन्त्र की मूल भावनाओं के विपरीत है. राजनैतिक दल अपना उल्लू सीधा करने के लिये अपनी विचारधारा एवं सिद्धान्तों से समझोता कर लेते हैं. जिस विचारधारा या उम्मीदवारों के विरोध में अधिकतर जनता होती है उसे उन से ही शासित होना पड़ता है. क्योकि गठबंधन के लिए कभी भी जनता की राय नहीं ली जाती और चुने हुए प्रत्यासी सत्ता हथियाने के लिये परस्पर विरोधी विचारधारा के दलों से भी गठबंधन कर लेते है.
यद्यपि इस पद्धति को अति ग्रामीण एवं पिछड़े इलाकों में लागू करने में समस्या हो सकती है जहाँ आज भी बुजुर्ग मतदातओं को मतदान प्रक्रिया समझने में दिक्कतें होती है फिर भी इसे शहरी एवं विकसित इलाकों में तो लागू किया ही जा सकता है.

-------------------------------------------------------------------------..................राघवेन्द्र